Motivational Story : मुसीबतें रुकावट नहीं, नए रास्तों को ढूंढने का जरिया होती है !
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आखिर में ही क्यों प्रभु ?
स्पेशल स्टोरी : एक गाँव में एक गरीब आदमी रहता था। वह निरंतर रोता रहता था और प्रभु से प्रार्थना किया करता कि ‘हे प्रभु तुमने मुझे इतना गरीब क्यों बनाया है और सब लोग कितने सुखी हैं, कष्ट देने के लिए सिर्फ मैं ही तुझे मिला | आखिर मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है | वह अपने गाँव में जिसे भी देखता, वह उसे आनंदित दिखाई देता। उस आदमी को हमेशा यह पीड़ा रहती कि इस संसार में एक मैं ही हूँ जो सबसे ज्यादा मुसीबत में हूँ। अगर किसी को कोई कष्ट भी है तो मेरी तुलना में तो उसका बहुत कम है।
सपने में हो रही है आकाशवाणी
एक रात उसने सपना देखा कि कोई, आकाशवाणी हो रही है । प्रभु सबसे कह रहे हैं कि सब लोग अपने-अपने मुसीबतें लेकर मंदिर पहुँच जाएँ। वह आदमी जल्दी से तैयार होकर, अपने मुसीबतें की पोटली बांध कर मंदिर की ओर दौड़ता चल जा रहा था । तभी उसने देखा पूरे गाँव के लोग अपनी-अपनी पोटलियाँ लिए जा रहे हैं। वह सोचता रहा था की सबके पर बड़े-बड़े गट्ठर हैं। फिर थोड़ी देर बाद आकाशवाणी हुई कि अब जिसको जिसकी पोटली चुननी हो, चुन लें, बदल लें। वह आदमी भागा और सारे लोग भागे। मगर चकित होने की बात यह थी कि उस आदमी ने भागकर अपनी पोटली फिर से उठा ली कि कहीं कोई दूसरा न उठा ले । यही हालत सबकी थी – सबने अपनी-अपनी पोटली उठा ली।
हैरानी में पड़ा शख्स
वह बड़ा हैरान हुआ, लेकिन अब बात उसकी समझ में आ गई। क्योंकि अपनी मुसीबतें कम से कम परिचित तो हैं; दूसरे का बड़ा पोटला है और न जाने इसके भीतर क्या हो ! अपने दुख कम से कम जाने-माने तो हैं |
कहानी से मिली सिख : सिरदर्द अगर जिंदगी भर होता ही रहे तो धीरे-धीरे आदमी भूल जाता है। सिरदर्द और सिर में कोई फर्क नहीं रह जाता ठीक इसी प्रकार जब आदमी अपने दुखों से निपटने लगता है तो उससे आदत हो जाते है, क्यूंकी वो उनसे परिचित है | यही कारण है की अपने दुखों को कभी बड़ा नहीं समझना चाहिए |