इस कहानी के माध्यम से आप ऊपर वाले की मर्जी को समझें; दो लड़के एक आश्रम में काम करते थे। वे दोनों अपने गुरु की दिन-रात सेवा करते थे। उन दोनों लड़कों में से एक लड़के की बहन की शादी तय हो गयी थी; वह अपनी बहन की शादी की तैयारी बहुत ही धूमधाम से करना चाहता था; पर उसके पास पैसे नहीं थे।
उनकी स्थिति उनके गुरु बहुत अच्छे से जानते थे; पर वो भी उनकी मदद नहीं किए; सिवाय जब दोनों लड़के गाँव जाने के लिए तैयार हुए तो गुरु ने उस लड़के को पांच अनार दिए जिसकी बहन की शादी थी। गाँव जाते समय पांच अनार पाकर लड़का बहुत दुखी था; उसे तो पैसे की जरूरत थी; वह अनार क्या करेगा – उसे अपने गुरु पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
जब दोनों लड़के गाँव की तरफ जा रहे थे; तो रास्ते में राजा के सैनिक इस बात की घोषणा कर रहे थे कि क्या किसी के पास अनार है; राजा को इसकी बहुत जरूरत है; हमने बहुत प्रयास किया पर हमें इस क्षेत्र में कहीं भी अनार नहीं मिला; राजा की बेटी बहुत बीमार है; उसे दवा के लिए अनार की जरूरत है।
दोनों लड़कों ने सोचा – हमें अनार की कोई जरूरत नहीं है; ये अनार हम राजा को दे देंगे; और उनकी बेटी का अच्छा इलाज हो जाएगा।
दोनों लड़कों ने अनार होने की बात सैनिक को बताई; सैनिक उन दोनों लड़कों को लेकर राजमहल पहुंचे; और लड़कों ने अनार राजा को सौंप दिया।
राजा ने उन्हें इसके लिए बहुत सारा इनाम दिया – पैसा, जेवरात और भी बहुत कुछ; उस लड़के की बहन की शादी बहुत धूमधाम से हो गयी । अब उस लड़के को इस बात पर बहुत अफसोस हो रहा था कि वह बिना सोचे-समझे अपने गुरु को कोस रहा था; और उन्हें भला बुरा कह रहा था।
सार – मुझे आशा है कि आपको यह कहानी अच्छे से समझ में आ गयी होगी – हमें कभी चिंता नहीं करनी चाहिए – हमारी चिंता कोई और कर रहा है।