बादशाह की ऐसी हालत देखकर बड़े-से-बड़ा हकीम बुलाया गया, लेकिन दवा लेने के बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा था। तभी राज वैद्य ने बादशाह को ज्योतिष बुलाने का सुझाव देते हुए कहा, “बादशाह! लगता है आप पर मनहूस इंसान का साया पड़ गया है।” राज वैद्य की बात का मान रखते हुए अकबर ने ज्योतिष को बुलाने का आदेश दिया।
तभी अकबर के मन में हुआ किसी मनहूस की परछाई तो मुझपर पड़ी नहीं। बस कूड़ा साफ करने वाले का लाया हुआ पानी मैंने पिया था। यह सोचते ही उन्होंने उस कचरा साफ करने वाले कर्मचारी को सजाए मौत सुना दी। बादशाह का आदेश मिलते ही सिपाहियों ने उस नौकर को जेल में डाल दिया।
कुछ देर बाद बादशाह के इस आदेश के बारे में बीरबल को पता चला। वो तुरंत उस कर्मचारी के पास पहुंचे और कहा कि तुम चिंता मत करना, मैं किसी-न-किसी तरकीब से तुम्हें बचा ही लूंगा। इतना कहकर बीरबल तुरंत बादशाह अकबर के पास पहुंच गए।
बीरबल ने बादशाह से पूछा, “आपको क्या हुआ है? कैसे इतना बीमार पड़ गए?”
जवाब में अकबर बोले, “बीरबल एक मनहूस इंसान की छाया मुझपर पड़ गई और मैं बीमार हो गया।”
बादशाह का जवाब सुनते ही बीरबल उन्हीं के सामने हंसने लगे। यह देखकर अकबर को बहुत खराब लगा। उन्होंने कहा, “ बीरबल तुम मेरी बीमारी का मजाक उड़ा रहा हो।”
बीरबल ने कहा, “नहीं-नहीं बादशाह, मुझे तो बस इतना कहना है कि अगर मैं आपके सामने उस कूड़ा उठाने वाले कर्मचारी से भी बड़ा मनहूस इंसान ले आऊं तो क्या आप नौकर की सजा माफ कर दोगे?
अकबर ने पूछा, “उससे भी बड़ा मनहूस कोई हो सकता है क्या? चलो, तुम किसी बड़े मनहूस को ले आते हो, तो मैं उस व्यक्ति को मुक्त कर दूंगा।”
तभी तपाक से बीरबल बोल पड़े कि महाराज, उससे बड़े मनहूस आप स्वयं ही हैं। उस मामूली नौकर ने तो बस आपकी प्यास बुझाने के लिए आपको पानी दिया, लेकिन आपको लग रहा है कि उसके कारण आपकी तबीयत खराब हो गई है। उस बेचारे नौकर का तो सोचिए जरा, वो तो आपको पानी पिलाने की वजह से जेल में पहुंच गया। सुबह-सुबह आपको देखने की वजह से उसका दिन तो छोड़िए पूरा जीवन बर्बाद हो गया। अब कुछ देर में उसे मौत की सजा मिल जाएगी। अब आप ही बताइए तबीयत खराब होना बड़ी मनहूसियत है या मौत की सजा मिलना।
आगे बीरबल बोले, “अब आप खुद को मौत की सजा मत देना, क्योंकि आप हम सभी के बादशाह हैं और हमें जान से भी ज्यादा प्यारे हैं।”
बीरबल की ऐसी बुद्धिमता वाली बातें सुनकर बीमार अकबर जोर से हंस पड़े। उन्होंने तुरंत ही सिपाहियों को कूड़ा-कचरा उठाने वाले उस नौकर को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। साथ-ही-साथ उसकी मौत की सजा भी माफ कर दी।
कहानी से सीख :
किसी की भी बातों पर आकर फैसला नहीं लेना चाहिए और अंधविश्वासी तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।