भगवान शिव की पूजा हरेक के लिए सुलभ है,शिव पूजा चाहें श्रावण मास में करें, शिवरात्रि पर करें या नित्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा के अंत में गाल बजाकर ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम बम’ का उच्चारण किया जाता है ।
भगवान शिव की पूजा जहां एक ओर राजसी उपचारों व वैभव से की जाती है; वहीं दूसरी ओर केवल जल, अक्षत, बिल्वपत्र और मुख वाद्य (मुख से बम-बम भोले की ध्वनि) से ही पूजा पूरी हो जाती है।
भगवान शिव परम वैरागी व अकिंचन हैं । जो स्वयं श्मशान में या पर्वत पर वृक्ष के नीचे रहता हो, भूत-प्रेत पिशाच जिसके गण हों, जो एक लोटा जल, आक, धतूरा, बेलपत्र और भस्म से संतुष्ट हो; उस विश्वनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष मंत्र, वाद्य या श्रम की आवश्यकता कहां ?
वह आशुतोष तो सदा से ही प्रसन्न हैं । केवल गाल बजाकर ‘बम-बम भोले’, ‘बोल बम-बम’ या ‘भोलेशंकर’ कहकर उसके सामने साष्टांग प्रणाम करते हुए प्रणत हो जाएं, प्रसन्न हो जाएंगे भोले भंडारी । इसमें किसी और मंत्र या विधि-विधान की आवश्यकता नहीं है; इसलिए भगवान शिव जन-जन के देव हैं ।
मुख वाद्य और ‘बम बम भोले’ कहने से ही प्रसन्न हो जाते हैं आशुतोष!!!!!!!!
शिवपुराण में लिखा है कि ‘शिव पूजन के अंत में समस्त सिद्धियों के दाता भगवान शिव को गले की आवाज (मुख वाद्य) से संतुष्ट करना चाहिए ।’
शिव पूजा में गाल बजाने का अर्थ है—मुख से ही बाजा बजाना (मुख वाद्य)। अन्य देवताओं की तरह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शंख, नगाड़ा, मृदंग, भेरी, घंटी आदि वाद्य बजाने की आवश्यकता नहीं है, वे तो मुख वाद्य से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए वे ‘आशुतोष’ कहे जाते हैं।
शिव पूजा में ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम बम’ क्यों कहा जाता है?
भगवान शिव ने माता पार्वती को अपने स्वरूप का ज्ञान कराते हुए कहा—
‘प्रणव (ॐ) ही वेदों का सार और मेरा स्वरूप है। जो शिव है वही प्राणी है और जो प्रणव है वही शिव है । ॐकार मेरे मुख से उत्पन्न होने के कारण मेरे ही स्वरूप को बताता है । यह मन्त्र मेरी आत्मा है । इसका स्मरण करने से मेरा ही स्मरण होता है।
मेरे उत्तर की ओर मुख से आकार, पश्चिम की ओर मुख से उकार, दक्षिण के मुख से मकार, पूर्व के मुख से बिन्दु और मध्य के मुख से नाद उत्पन्न हुआ है । इस प्रकार मेरे पांचों मुख से निकले हुए इन सबसे एक अक्षर ‘ॐ’ बना । शिव भक्त को चाहिए कि वह पूर्व को निर्गुण शिव समझें।’
प्रणव का सरल रूप है ‘बम बम भोले’!!!!!!!!
‘बम बम’ शब्द प्रणव का सरल रूप है, किन्तु इसका असर बहुत प्रभावशाली है। चूंकि प्रणव का उच्चारण करने में कई नियमों का पालन करना पड़ता है, इसलिए हरेक के लिए इसे सुलभ करने के लिए ही ‘बम बम भोले’ मंत्र बताया गया है।
मुख से ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम’ मन्त्र उच्चारण करने से मनुष्य की वाक् शक्ति बढ़ती है और वह उत्तम वक्ता हो जाता है।
भगवान शिव का दरबार हरेक के लिए चौबीसों घंटे खुला रहता है । कौड़ियों के दाम में उनका पूजन हो जाता है और साधारण से मंत्र से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं।
साधारण ज्ञान वाले और अशिक्षित लोग भी ‘बम बम भोले’ का उच्चारण सरलता से कर सकते हैं।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही कांवड़िये ‘बम बम भोले’ का उद्घोष करते हैं।
इसलिए ‘ॐ’ का सरल रूप ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम’ का उच्चारण करना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है । प्रणव का अर्थ है—‘प्र’ अर्थात प्रकृति से उत्पन्न हुए संसार सागर के लिए, ‘नव’ अर्थात नौका रूप । प्रणव का सरल रूप ‘बम बम भोले’ भी इस संसार सागर में डूबते प्राणी को नौकर बन कर पार करा देता है।