17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक, सभी इस घटना पर महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांग चुके हैं। इसके बावजूद, विपक्ष का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को महाविकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन के नेताओं ने इस घटना के विरोध में मुंबई में एक बड़ा मार्च निकाला।
यह विरोध मार्च दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक आयोजित किया गया। मार्च में शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे, पार्टी नेता आदित्य ठाकरे, संजय राउत, और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले समेत कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
हुतात्मा चौक पर शिवाजी की एक आवक्ष प्रतिमा स्थापित की गई, जहां से विरोध मार्च की शुरुआत हुई। मार्च में शामिल लोगों ने छत्रपति शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने भी मार्च में शामिल होकर कुछ दूरी तक पैदल यात्रा की।
एनसीपी नेता राजेश टोपे ने विरोध मार्च के दौरान कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र का गौरव और आत्मा हैं। इस घटना ने हमारे आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई है। हमारा यह विरोध लोकतंत्र का हिस्सा है, और सरकार का इसे अनुमति न देना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध की अनुमति देनी चाहिए।”
इस विरोध मार्च के जरिए महाविकास आघाड़ी ने महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्रयास किया है, जिससे इस मुद्दे पर राजनीतिक उथल-पुथल जारी है।