You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

“किसानों के लिए 24 घंटे खुले हैं मेरे दरवाजे: उपराष्ट्रपति धनखड़”

Share This Post

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए उनसे रचनात्मक बातचीत के माध्यम से समस्याओं को हल करने का आह्वान किया। राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती पर आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति ने भारतीय ग्रामीणता और किसानों को देश की ताकत बताया और उन्हें विवाद के बजाय संवाद की ओर बढ़ने की सलाह दी।

किसानों के मुद्दों पर खुली चर्चा की जरूरत
धनखड़ ने कहा, “भारत की ताकत इसकी ग्रामीण जड़ों और किसानों में निहित है, जो देश के विकास का आधार हैं।” उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने मुद्दों को समाधान के लिए रचनात्मक बातचीत के माध्यम से हल करें। उन्होंने जोर दिया कि उनके संघर्ष समृद्ध भारत की बड़ी आकांक्षाओं को दर्शाते हैं।

किसानों से आह्वान: ‘अपनों से नहीं लड़ते’
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि हम अपनों से नहीं लड़ते, हम अपनों को धोखा नहीं देते।” धनखड़ ने किसानों से टकराव के बजाय आपसी समझ बढ़ाने की अपील की और यह भी कहा कि जब तक किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं होता, तब तक कोई भी शांति से नहीं सो सकता।

सरकार की सक्रिय पहल और शिवराज चौहान की सराहना
किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री शिवराज चौहान की सराहना की और कहा कि वे पहले से ही चर्चा में शामिल हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि सरकार सक्रिय रूप से समाधान पर काम कर रही है और रचनात्मक बातचीत में भाग लेने के लिए उन्हें प्रेरित किया।

कूटनीति और आपसी सम्मान की आवश्यकता
धनखड़ ने टकरावपूर्ण रवैये की आलोचना करते हुए कहा, “हमें खुले तौर पर सोचने और खुली चर्चा में शामिल होने की जरूरत है क्योंकि यह देश हम सभी का है।” उन्होंने कूटनीति और आपसी सम्मान की वकालत की और इसे बेहतर भविष्य के लिए जरूरी बताया।

यह संबोधन न केवल किसानों के लिए एक संदेश था, बल्कि देश की सामूहिक शक्ति और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *