नई दिल्ली (नेशनल थॉट्स)- देश को कुपोषण से फ्री करने के लिए कई स्तर पर तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। हालांकि अभी भी कई इलाकों में अज्ञानता, लापरवाही व जागरूकता के अभाव में लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिये हर साल 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के बारे में तथ्य
–हर साल खाद्य और पोषण बोर्ड देश के सभी चार क्षेत्रों में स्थित अपनी 43 सामुदायिक खाद्य और पोषण विस्तार इकाइयों के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के लिए एक थीम चुनता है।
–एनीमिया से पीड़ित बच्चों (6-59 महीने) का प्रतिशत 69.4 प्रतिशत से घटकर 58.6 प्रतिशत हो गया है।
–8 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की दृष्टि से राजस्थान के झुंझुनू से पोषण अभियान शुरू किया।
–एक अध्ययन के अनुसार यह माना गया है कि केवल 21 दिन आपकी अस्वास्थ्यकर आदतों को बदलने और आपको बेहतर संस्करण में बदलने के लिए पर्याप्त हैं।
–हर साल खाद्य और पोषण बोर्ड देश के सभी चार क्षेत्रों में स्थित अपनी 43 सामुदायिक खाद्य और पोषण विस्तार इकाइयों के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के लिए एक थीम चुनता है।
–एनीमिया से पीड़ित बच्चों (6-59 महीने) का प्रतिशत 69.4 प्रतिशत से घटकर 58.6 प्रतिशत हो गया है।
–8 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की दृष्टि से राजस्थान के झुंझुनू से पोषण अभियान शुरू किया।
–एक अध्ययन के अनुसार यह माना गया है कि केवल 21 दिन आपकी अस्वास्थ्यकर आदतों को बदलने और आपको बेहतर संस्करण में बदलने के लिए पर्याप्त हैं।
पोषण अभियान के तहत सरकार ने लक्ष्य निर्धारित
>इस योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसका संचालन नीति आयोग द्वारा किया जाता है।
>0-6 वर्ष के आयु के बच्चों में ठिगनेपन के 34.6 % को कम कर 25 % करना है।
>ऐसी संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाएगा जिन्होंने राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत रक्त की कमी एवं पोषण की कमी मे सुधार करने में विशेष योगदान दिया हो।
>आंगनवाड़ी के कर्मियों को इस योजना के तहत घर-घर जाकर सही जानकारी जुटानी है, उसकी सूची बनाना, कुपोषण से अवगत कराना, जेसे कार्यो के लिए उन्हे प्रोत्साहन रूप 500 रुपए प्रदान किए जाएगे।
>इस मिशन के अंतर्गत जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं मे प्रति वर्ष कम से कम 2% की कमी लाना। यानि की इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों के कुपोषण को कम करना है|कुपोषण मुक्त भारत के लिए केंद्र सरकार के प्रयास
-‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’ या मिशन पोषण 2.0 के रूप में फिर से संरेखित किया गया है
–गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण सामग्री वितरण
–मिशन पोषण 2.0 के तहत देशभर में 13.9 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ 7074 स्वीकृत परियोजनाएं हैं
–आज तक 9.94 करोड़ लाभार्थी, अर्थात् गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, आईसीटी एप्लिकेशन, पोषण ट्रैकर पर आंगनवाड़ी सेवाओं के लिए पंजीकृत हैं
–आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों और ग्राम पंचायत भूमि पर पोषण वाटिका जैसी योजना
–पोषण 2.0 के तहत खाद्य सुदृढ़ीकरण ज्ञान की पारंपरिक प्रणालियों का लाभ उठाने और बाजार के उपयोग को लोकप्रिय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है
–सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण उत्पन्न कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए फोर्टिफाइड चावल आवंटित किया जा रहा है