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“Navratri: गृहस्थों के लिए पूजन विधि”

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नवरात्रि एक वर्ष में चार बार आती है, जिसमें दो मुख्य नवरात्र और दो गुप्त नवरात्र होते हैं। शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान शक्ति की उपासना करने वाले भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। शक्ति की उपासना के साथ-साथ इष्ट देवता की आराधना भी नवरात्रि में शुभ फलदायी होती है। इस समय हनुमान जी और भैरव जी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि ये देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

गृहस्थ आश्रम का शास्त्रों में विशेष महत्व है। व्यस्त जीवनशैली के बावजूद गृहस्थ को नवरात्रि में पूजा और उपासना के लिए समय निकालना चाहिए। यदि संपूर्ण पूजन विधान का पालन करना कठिन हो, तो कुछ सरल नियम अपनाकर भी मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है। पूजा को एक निश्चित समय पर करना चाहिए, जैसे यदि सुबह 8 बजे पूजा की जाती है, तो हर दिन उसी समय पूजा करें। पूजा में पवित्रता बनाए रखें और खान-पान में भी शुद्धता का ध्यान रखें।

नवरात्रि के दौरान गृहस्थ अपने घर में कलश की स्थापना कर सकते हैं। मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने प्रतिदिन दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें। अलग-अलग देवताओं के मंत्र जाप से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं, इसलिए अपने इष्ट की आराधना अवश्य करें। दुर्गा पाठ के साथ इष्ट देवता का स्मरण भी लाभकारी होता है।

नवरात्रि में तंत्र पूजा द्वारा शीघ्र फल प्राप्त किया जा सकता है। देवी की तंत्र साधना में ‘क्लीं’ बीज मंत्र का जाप प्रमुख माना गया है। इसका सवा लाख जाप करके तंत्र साधना की जा सकती है। साधक सुबह स्नान कर देवी दुर्गा के सामने दीपक जलाकर ‘क्लीं’ मंत्र का जाप करें और गुग्गुल का धूप अर्पित करें। सरसों के तेल के दीपक जलाकर दुर्गा आरती करें। इससे शीघ्र लाभ प्राप्त होगा।

नवरात्रि के ये सरल नियम और उपासना विधि गृहस्थों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होते हैं।

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