महाराष्ट्र में आगामी चुनावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए ‘एक हैं तो सेफ हैं’ और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों को लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने इन नारों की आलोचना की है। वहीं, एनसीपी नेता और मानखुर्द शिवाजी नगर से उम्मीदवार नवाब मलिक ने इसे घृणित बयान करार दिया है और कहा है कि इस प्रकार की राजनीति से कोई लाभ नहीं हो सकता।
नवाब मलिक ने कहा कि इस तरह की राजनीति से उत्तर प्रदेश में बहुत नुकसान हुआ है, जहां मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म पर आधारित राजनीति लंबे समय तक नहीं चलती। मलिक ने जोर देते हुए कहा कि राजनीति को रोजी-रोटी, कपड़ा और मकान जैसे मुद्दों पर केंद्रित किया जाना चाहिए, और जनता के विकास की बात होनी चाहिए।
नवाब मलिक ने यह भी कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि देश को हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नहीं बांटना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस बार चुनाव में काफी करीबी मुकाबला है और नतीजों के बारे में कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। उन्होंने 2019 के चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसी सरकार बन सकती है।
नवाब मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति में दोस्त और दुश्मन की परिभाषा चुनाव परिणामों के बाद बदल जाती है। उन्होंने कहा कि नतीजों के बाद अजित पवार किंगमेकर की भूमिका में हो सकते हैं। मलिक ने यह भी कहा कि वह अपने काम, नाम और विचारों के आधार पर वोट मांग रहे हैं और अजित पवार के साथ हैं।
इससे पहले, अजित पवार ने यह स्पष्ट किया था कि उनका राजनीतिक समायोजन है और वे अपनी राय पर कायम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नतीजों के बाद अजित पवार जी चंद्रबाबू नायडू की तरह किंगमेकर बन सकते हैं। इस बीच, राकांपा ने भाजपा से दूरी बनाते हुए इस कदम को महायुति की प्रमुख सहयोगी द्वारा चुनावी अभियान में इस्तेमाल किए गए नारों को लेकर भाजपा से अलगाव के रूप में देखा है।