नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे नौ दिनों तक बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भी है। हर दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है और एक विशिष्ट दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
नवदुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री का है। इस दिन से योग साधना की शुरुआत होती है। भक्त को केसरिया वस्त्र धारण कर माता को फल अर्पित करना चाहिए और फलाहार करना चाहिए।
मूल मंत्र: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। भक्त को लाल वस्त्र पहनकर देवी की आराधना करनी चाहिए। मां को दूध से बनी वस्तुएं अर्पित करें और आहार में दूध, दही एवं पनीर लें।
मूल मंत्र: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”
मां चंद्रघंटा देवी का कल्याणकारी रूप हैं। इस दिन भक्त पीले वस्त्र पहनकर मां की पूजा करें और लाल पुष्पों से आराधना करें। इस दिन कुट्टू के आटे का सेवन किया जाता है।
मूल मंत्र: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली देवी को रंग-बिरंगे वस्त्र अर्पित करें और मखाने की खीर का भोग लगाएं।
मूल मंत्र: “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।”
मां स्कंदमाता की पूजा पांचवें दिन की जाती है। भक्त हरे रंग के वस्त्र पहनकर साग-सब्जियों का सेवन करें। इस दिन पौधों की सेवा करना भी विशेष महत्व रखता है।
मूल मंत्र:”ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।”
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। भक्त केसरिया या वसंती वस्त्र धारण करें और मेवा-मिश्री का भोग लगाएं।
मूल मंत्र: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”
मां कालरात्रि देवी का उग्र रूप हैं। इस दिन रात्रि जागरण और चुनरी पहनकर देवी की पूजा करें। फलाहार करें और सपरिवार मां की आरती करें।
मूल मंत्र: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।”
आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। कन्या पूजन और हलवा-पूरी का भोग लगाना श्रेयस्कर माना जाता है। इस दिन बटुक की पूजा का भी विधान है।
मूल मंत्र: “ॐ देवी महागौर्यै नमः।”
मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा अंतिम दिन होती है। भक्तों को पूरी-हलवा और चना साग का भोग लगाना चाहिए। इस दिन स्वास्तिक बनाकर देवी का विसर्जन करें।
मूल मंत्र:”ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों की पूजा विधि और नियमों का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।