एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, विकास या दक्षता बढ़ाने के लिए नहीं लाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड को खत्म करना है।
ओवैसी ने स्पष्ट किया कि इस बिल में कहा गया है कि मुसलमान वक्फ कर सकता है। उन्होंने सवाल उठाया, “मुसलमान बनने का मतलब क्या है? क्या वह दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ता है, दाढ़ी रखता है या टोपी पहनता है? क्या उसकी पत्नी मुस्लिम है या गैर-मुस्लिम?” उन्होंने इस मामले में निर्णय लेने वालों पर भी प्रश्न खड़े किए।
ओवैसी ने दावा किया कि हिंदू धर्म में इस प्रकार का कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास जो वक्फ संपत्तियां हैं, उनका निर्णय कलेक्टर द्वारा लिया जाएगा।
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसदीय समिति ने 1.2 करोड़ प्रतिक्रियाएं ईमेल के माध्यम से प्राप्त की हैं। विभिन्न समूहों ने इस विधेयक के संबंध में अपने दृष्टिकोण का समर्थन जुटाया है। संसदीय सूत्रों के अनुसार, भाजपा के नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति को 75,000 दस्तावेज भी मिले हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त समिति तेज गति से काम कर रही है, और उम्मीद है कि इसकी रिपोर्ट निर्धारित समयसीमा के भीतर संसद में पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक करोड़ से अधिक प्रतिक्रियाएं समिति के पास आई हैं और सभी को अपनी बात कहने का मौका दिया जा रहा है।
इस प्रकार, ओवैसी का यह आरोप और वक्फ बिल पर चल रही चर्चा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है। संसदीय समिति की प्रतिक्रियाएं और इसके निष्कर्षों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।