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Pace of development and social concerns: Public's priorities in the upcoming elections

विकास की रफ्तार और सामाजिक सरोकार: आगामी चुनाव में जनता की प्राथमिकताएं

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रजनीकान्त तिवारी – भारत 2024 के आम चुनाव के करीब आ रहा है, और राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने अभियानों को तेज कर रहे हैं। ऐसे समय में यह सवाल उठता है कि आगामी चुनाव में जनता की प्राथमिकताएं क्या होंगी? क्या विकास की रफ्तार पर ही जोर दिया जाएगा, या सामाजिक सरोकार भी उतने ही महत्वपूर्ण होंगे?

निस्संदेह, विकास हर किसी की प्राथमिकता है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, रोजगार के अवसर पैदा करना, बुनियादी ढांचे का विकास करना, और लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना, ये सभी मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने विकास के मामले में काफी प्रगति की है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।

हालांकि, विकास केवल आर्थिक प्रगति से ही नहीं मापा जा सकता। सामाजिक सरोकार भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। गरीबी, भूखमरी, शिक्षा का अभाव, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, और सामाजिक असमानता जैसी समस्याएं आज भी भारतीय समाज में व्याप्त हैं। इन मुद्दों को भी चुनाव में प्रमुखता से उठाया जाना चाहिए।

इसके अलावा, भ्रष्टाचार एक ऐसा विषय है जो हर मतदाता को चिंतित करता है। एक पारदर्शी और जवाबदेह शासन व्यवस्था जनता की एक प्रमुख मांग है। ऐसे नेता जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेते हैं, उन्हें ही जनता का समर्थन मिल पाएगा।

 यह कहना गलत नहीं होगा कि आगामी चुनाव में विकास की रफ्तार और सामाजिक सरोकार दोनों ही जनता के लिए महत्वपूर्ण होंगे। मतदाताओं को ऐसे नेताओं को चुनना चाहिए जो न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का वादा करते हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।

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