सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों पर अपने निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई, जिसके बाद योग गुरु ने बिना शर्त माफी मांगी।
भ्रामक विज्ञापन मामले से संबंधित अवमानना कार्यवाही में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।
पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी। पतंजलि का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया, “वह (बाबा रामदेव) माफी मांगने के लिए व्यक्तिगत रूप से यहां उपस्थित हैं।”
अदालत ने इसे “जुबानी दिखावा” कहा कि पतंजलि को अपने भ्रामक दावों के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। अदालत ने कहा, “आपने हर बाधा तोड़ दी है। अब आप कहते हैं कि आपको खेद है।” सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की खिंचाई की।
अदालत ने कहा, “आश्चर्य है कि जब पतंजलि यह कहते हुए शहर जा रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है, तो संघ ने अपनी आंखें बंद क्यों रखीं।”
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को अंतिम अवसर देते हुए एक सप्ताह के भीतर नया हलफनामा दाखिल करने को कहा। अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण को झूठी गवाही के आरोप की भी चेतावनी दी, जबकि यह नोट किया कि पतंजलि द्वारा हलफनामे के साथ जमा किए गए दस्तावेज बाद में बनाए गए थे। अदालत ने आगे कहा, “यह झूठी गवाही का स्पष्ट मामला है। हम आपके लिए दरवाजे बंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम आपको वह सब बता रहे हैं जो हमने नोट किया है।”