रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची से डिजिटल माध्यम के जरिए छह नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इन ट्रेनों का संचालन झारखंड, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश में होगा। पीएम मोदी को टाटानगर से इन ट्रेनों को हरी झंडी दिखानी थी, लेकिन खराब मौसम और कम दृश्यता के कारण उनका हेलीकॉप्टर रांची से उड़ान नहीं भर सका। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने रांची से ही डिजिटल माध्यम से वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार भी टाटानगर स्टेशन पर मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आज झारखंड की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण दिन है। राज्य को छह नई वंदे भारत ट्रेनें, 650 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परियोजनाएं, बेहतर कनेक्टिविटी, यात्रा बुनियादी ढांचा और पीएम आवास योजना के तहत हजारों लोगों को अपना घर मिलने का लाभ मिला है। मैं झारखंड के लोगों को इन उल्लेखनीय विकास पहलों के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।”
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पूर्वी भारत में रेल कनेक्टिविटी के विस्तार से इस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इन ट्रेनों से कारोबारियों और छात्रों को बहुत लाभ होगा और यहां की आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी तेज होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड अब उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां रेलवे नेटवर्क का 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत झारखंड के 50 से अधिक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने जिन छह वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई, वे निम्नलिखित मार्गों पर चलेंगी:
टाटानगर-पटना
ब्रह्मपुर-टाटानगर
राउरकेला-हावड़ा
देवघर-वाराणसी
भागलपुर-हावड़ा
गया-हावड़ा
रेल मंत्रालय के अनुसार, इन ट्रेनों के परिचालन से संपर्क सुविधा, सुरक्षित यात्रा और यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी। बयान में कहा गया है कि नई वंदे भारत ट्रेनों की संख्या 54 से बढ़कर अब 60 हो जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया कि ये ट्रेनें आवागमन के समय को कम करने में मदद करेंगी, जिससे नियमित यात्रियों, पेशेवरों, व्यापारियों और छात्रों को लाभ होगा। ये रेलगाड़ियां देवघर (झारखंड) में बैद्यनाथ धाम, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में काशी विश्वनाथ मंदिर, कालीघाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में बेलूर मठ जैसे तीर्थ स्थलों तक पहुंचने का समय कम करेंगी, जिससे क्षेत्रीय धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही धनबाद में कोयला और खान उद्योग, कोलकाता में जूट उद्योग, और दुर्गापुर में लोहा और इस्पात से जुड़े क्षेत्रों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।