प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने कार्यक्रम में विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में ग्रामीण भारत की अहम भूमिका पर जोर दिया। यह महोत्सव “विकसित भारत 2047 के लिए लचीले ग्रामीण भारत का निर्माण” और आदर्श वाक्य “गांव बढ़ेगा, तो देश बढ़ेगा” के तहत आयोजित किया गया।
ग्रामीण अनुभव और चुनौतियों पर पीएम का नजरिया
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा,
“मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरा बचपन छोटे शहर में बीता। इससे मुझे ग्रामीण भारत की चुनौतियों और संभावनाओं को समझने का मौका मिला।”
उन्होंने बताया कि 2014 से उनकी सरकार ने ग्रामीण भारत की सेवा को प्राथमिकता दी है। गांवों में सम्मानजनक जीवन देना और उनके लिए अवसर सृजित करना उनकी प्राथमिकता रही है।
ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने का दृष्टिकोण
हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी का अभियान चलाया गया।
प्रवासन रोकने और ग्रामीणों के जीवन को आसान बनाने के लिए योजनाएं लागू की गईं।
पीएम फसल बीमा योजना को एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया।
DAP खाद पर सब्सिडी बढ़ाकर किसानों पर बोझ कम किया गया।
पारंपरिक कला और विश्वकर्मा योजना
पीएम मोदी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े लोगों का रूरल और लोकल इकोनॉमी में बड़ा योगदान है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के जरिए लाखों कारीगरों को आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है।
पारंपरिक कला और कौशल के प्रति सरकार की नीतियां सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
ग्रामीण गरीबी में ऐतिहासिक कमी
मोदी ने बताया कि पहले की सरकारों ने SC-ST-OBC वर्ग और ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा की, जिससे पलायन और गरीबी बढ़ी।
SBI रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में भारत में ग्रामीण गरीबी 26% थी, जो 2024 में घटकर 5% से भी कम हो गई।
जिन इलाकों को दशकों तक विकास से वंचित रखा गया, अब उन्हें बराबरी का हक मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा।”
ग्रामीण भारत के लिए सरकार की नीतियां और योजनाएं उसे सशक्त बनाकर विकसित भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।