प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार-बार ‘परिवारवादी राजनीति’ को देश के सामने एक बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। लेकिन, बीजेपी की हालिया चुनावी सूचियों में भी परिवारवाद का बोलबाला दिखाई दे रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जो 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, उसमें कई नेताओं के परिजनों को टिकट दिए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया चव्हाण को नांदेड़ जिले के भोकर से टिकट दिया गया। इसी प्रकार नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को फिर से कंकावली सीट से टिकट मिला है।
अमल महादिक**, भाजपा सांसद धनंजय महादिक के भाई, कोल्हापुर दक्षिण सीट से मैदान में हैं।
संतोष दानवे**, पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे के बेटे, भोकरदन से उम्मीदवार बने हैं।
संभाजी पाटिल निलंगेकर**, पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर के पोते, निलंगा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
झारखंड में भी बीजेपी ने परिवारवाद की नीति अपनाते हुए कई नेताओं के परिजनों को टिकट दिया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू, अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा, और चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन शामिल हैं।
कांग्रेस नेता अजय कुमार ने बीजेपी की इस रणनीति पर कटाक्ष करते हुए इसे परिवारवाद का उदाहरण बताया और महिला सशक्तिकरण के नाम पर दिए गए टिकटों पर सवाल उठाए।
जहां प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद के खिलाफ बोलते हैं, वहीं बीजेपी के हालिया चुनावी फैसलों में परिवारवाद स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है।