भारत का एहसान चुका रहा पोलैंड : यूक्रेन से पोलैंड में शरण ले रहे भारतीय स्टूडेंट्स, दूसरे विश्व युद्ध के साथ खड़ा था भारत !
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यूक्रेन से पोलैंड में शरण ले रहे भारतीय स्टूडेंट्स
न्यूज डेस्क ( नेशनल थॉट्स ) : रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक हफ्ते से युद्ध जारी है | इस वक्त भारत अपने स्टूडेंट्स को लेकर चिंतित है और अपने स्टूडेंट्स को निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है | भारत ने इस संबंध में रूस समेत कई देशों से बात की है और पोलैंड का शुक्रिया अदा किया है, जो अभी भारतीय स्टूडेंट्स को शरण दे रहा है |
आइए जानते हैं क्या थी वो स्थिति और उस वक्त भारत ने कैसे पौलेंड के लोगों की मदद की थी :-
दूसरे विश्व युद्ध में की थी मदद
साल 1941 की बात है, जब दूसरे विश्व युद्ध के टाइम पौलेंड के लोग अलग-अलग देशों में जा रहे थे | इसका कारण ये था कि एक तरफ जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया था और जर्मनी से रूस के बीच पौलेंड आ रहा था | उसी वक्त यूके की ओर से पौलेंड को एक संप्रभु देश घोषित कर दिया था | इस वजह से USSR की सेना ने पौलेंड में एंट्री कर ली | इससे पौलेंड में काफी मुश्किलें बढ़ती जा रही थी |
पोलैंड की मदद के लिए कोई देश नहीं आया सामने
पौलेंड के लोग काफी परेशान थे और वो अपने आस-पास के इलाकों में बढ़ते जा रहे थे | इस वक्त पौलेंड के कई बच्चे अनाथ हो गए और टर्की जैसे देशों की तरफ बढ़ रहे थे | उस वक्त कुछ देशों ने बच्चों को रखने से मना कर दिया था | उस वक्त उन देशों ने बच्चों को रखने से इसलिए मना किया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि अगर पौलेंड के लोगों को वो रखते हैं तो USSR उन पर भी हमला कर सकता है |
ऐसे में भारत साथ खड़ा रहा :-
इस वक्त भारत में ब्रिटिश सरकार थी, क्योंकि उस वक्त भारत आजाद नहीं था | इस वक्त ब्रिटिश सरकार ने भी उन बच्चों को रखने से मना कर दिया तो फिर इस पर काफी विवाद हुआ | ऐसे में भारत में गुजरात के जामनगर के राजा ने उनकी मदद करने की ठानी | इस दौरान उन्होंने बिट्रिश सेना से झगड़ा किया और उन बच्चों की मदद की |