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जनसंख्या कानून: उत्तर भारत मांग रहा नियंत्रण, दक्षिण भारत के CM कर रहे बढ़ाने की अपील, क्यों?

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भारत में एक तरफ जहां जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग उठ रही है, वहीं दूसरी तरफ दक्षिण भारत के कुछ मुख्यमंत्री ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में ऐसी अपील की, जो जनसंख्या वृद्धि की दिशा में एक अलग दृष्टिकोण को दर्शाती है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में बुजुर्ग होती आबादी को देखते हुए लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी। नायडू ने कहा कि उनकी सरकार इसे प्रोत्साहित करने के लिए कानून लाने की भी योजना बना रही है। वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी एक पुरानी तमिल कहावत का जिक्र करते हुए 16 बच्चों की सलाह दी।

यह अपील इस वजह से भी अहम है क्योंकि जल्द ही भारत में संसदीय सीटों का नये सिरे से परिसीमन होना है। इस परिसीमन के तहत दस लाख लोगों की आबादी पर एक सांसद होगा। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतरीन काम किया, लेकिन अब प्रजनन दर कम होने की वजह से उन्हें डर है कि संसद में उनकी सीटें कम हो सकती हैं।

यूएनएफपीए और आईआईपीएस की रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। केरल में 2036 तक बुजुर्गों की संख्या 22.8% तक पहुंचने की उम्मीद है। यह आंकड़ा तमिलनाडु में 20.8% और आंध्र प्रदेश में 19% तक हो सकता है। इस तेजी से बढ़ती बुजुर्ग आबादी के कारण दक्षिणी राज्यों में चिंता बढ़ रही है।

जनसंख्या नियंत्रण के चलते दक्षिणी राज्यों को डर है कि भविष्य में उत्तर भारत की बढ़ती आबादी के कारण संसद में उनकी हिस्सेदारी घट सकती है। परिसीमन के बाद दक्षिणी राज्यों की सीटें घट सकती हैं, जिससे उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भागीदारी कम हो जाएगी।

चंद्रबाबू नायडू ने अपने बयान में यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश में दो से ज्यादा बच्चे वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी। वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित किया।

दक्षिण भारत के राज्यों की चिंता बुजुर्ग होती आबादी और लोकसभा में घटती सीटों के कारण है। जबकि उत्तर भारत में जनसंख्या नियंत्रण की मांग हो रही है, दक्षिणी राज्य जनसंख्या बढ़ाने की अपील कर रहे हैं ताकि उनकी राजनीतिक ताकत बरकरार रहे।

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