प्रदोष व्रत का महत्व
भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत की तिथि अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दिसंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा। चूंकि यह दिन शुक्रवार को पड़ता है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।
भगवान शिव की पूजा विधि
सुबह की तैयारी
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल को स्वच्छ कर शिव जी का ध्यान करें।
शिवलिंग का अभिषेक करें
शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाएं।
इसके बाद दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर से अभिषेक करें।
मन में ॐ नमः शिवाय का जप करते रहें।
पूजन सामग्री अर्पित करें
शिवलिंग पर चंदन, भस्म, पुष्प, बेलपत्र, वस्त्र, और रुद्राक्ष अर्पित करें।
भगवान शिव को खीर, दही, या सूजी के हलवे का भोग लगाएं।
आरती और प्रसाद वितरण
घी का दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
आरती के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बांटें।
प्रदोष व्रत के मंत्र
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें:
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
ॐ नमः शिवाय गुरुदेवाय नमः
ॐ शिवलिंगाय नमः
ध्यान रखने योग्य बातें
व्रत के दौरान साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें।
लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा का सेवन न करें।
नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मकता बनाए रखें।
इस दिन नाखून, बाल या दाढ़ी बनवाने से परहेज करें।