सूत्रों के अनुसार, लोकसभा से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत और राज्यसभा से रणदीप सुरजेवाला को एक राष्ट्र, एक चुनाव समिति में शामिल किया जाएगा। मंगलवार को लोकसभा में एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था वाले दो विधेयक पेश किए गए, जिससे तीखी बहस छिड़ गई। विपक्ष ने इसे “तानाशाहीपूर्ण कदम” कहा, जबकि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पष्ट किया कि यह कानून राज्यों की शक्तियों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।
लोकसभा में पेश हुआ एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पेश किया। करीब 90 मिनट की बहस और मतदान के बाद विधेयक के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 सदस्यों ने मतदान किया।
विपक्ष का विरोध: संविधान पर हमला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने विधेयक को संविधान के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा,
अनुसूची 7 से परे संविधान का मूल ढांचा बदला नहीं जा सकता। यह विधेयक संविधान पर हमला है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।”
सपा नेता धर्मेंद्र यादव, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, डीएमके के टीआर बालू और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी विधेयक का कड़ा विरोध किया।
विपक्ष की मुख्य आपत्तियां
संविधान की भावना के खिलाफ: विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह विधेयक संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है।
तानाशाही का आरोप: विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
राज्यों की स्वायत्तता पर असर: विधेयक को राज्यों की शक्तियों के साथ छेड़छाड़ करने वाला करार दिया।
कानून मंत्री का जवाब
कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखते हुए चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है।
क्या यह विधेयक देश के लोकतंत्र के लिए सही दिशा है या विपक्ष की चिंताएं वाजिब हैं? यह आने वाले दिनों में बहस का प्रमुख मुद्दा रहेगा।