हर माह दोनों पक्षों की एकादशी को व्रत रखा जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह 10 जनवरी 2025 को पड़ रही है। इसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
व्रत का लाभ
पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत रखने वाले को अचूक फल मिलता है। यह व्रत न केवल भगवान विष्णु की कृपा दिलाता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और दुखों से मुक्ति भी प्रदान करता है।
आरती और पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करें। इस दिन उनकी आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आरती के दौरान भगवान विष्णु की निम्नलिखित आरती गाएं:
भगवान विष्णु की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
एकादशी की आरती
इस दिन विशेष रूप से एकादशी की आरती भी गाई जाती है। इसका पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और दुखों का नाश होता है।
एकादशी की आरती (संक्षेप)
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
पुत्रदा एकादशी के लाभ
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
घर में सुख-समृद्धि आती है।
व्रती के समस्त कष्ट समाप्त होते हैं।
संतान प्राप्ति की इच्छुक दंपतियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत शास्त्रों में वर्णित एक अद्वितीय व्रत है, जो भक्तों को असीम आशीर्वाद और सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस दिन व्रत रखें, पूजा-अर्चना करें और आरती गाएं। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी और जीवन में खुशहाली आएगी।