Qutub Minar या विष्णु स्तंभ? शिलालेख – यहाँ 27 मंदिरों को तोड़कर बनी थी ये इमारत |
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राम मंदिर, ज्ञानवापी, कृष्ण जन्मभूमि और अब कुतुब मीनार
न्यूज डेस्क ( नेशनल थॉट्स ) : पहले अयोध्या का राम मंदिर, फिर काशी में ज्ञानवापी और मथुरा में ईदगाह मस्जिद के बाद अब दिल्ली में कुतुब मीनार को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। कुतुब मीनार पर जारी विवाद के बीच संस्कृति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ASI को कुतुब मीनार परिसर की खुदाई और वहां स्थित मूर्तियों की आइकोनोग्राफी कराने का आदेश नहीं दिया है।
क्या है पूरा मामला ?
हाल में कुछ हिंदूवादी संगठनों ने कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किए जाने की मांग की थी। कुतुब मीनार परिसर में पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल हुई है, जिस पर 24 मई को सुनवाई होनी है।
जानिए कुतुब मीनार का इतिहास
कुतुब मीनार का निर्माण 1199 से 1220 के दौरान कराया गया था। कुतुब मीनार को बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी और उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया था। कुछ इतिहासकारों ने इसे विष्णु स्तंभ बताते हुए कहा कि इसे 5वीं शताब्दी में विक्रमादित्य ने बनवाया था।
कुतुब मीनार देश की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। ये साउथ दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित है। करीब 238 फीट की ऊंचाई वाला कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊंचा पत्थरों का स्तंभ है। कुतुब मीनार इसके आसपास स्थित कई अन्य स्मारकों से घिरा हुआ और इस पूरे परिसर को कुतुब मीनार परिसर कहते हैं।
प्रवेश द्वार पर मिले शिलालेख पर लिखा है कि यहां मंदिर था
कुतुब मीनार के प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख में लिखा है कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद वहां बनाई गई है, जहां 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मलबा था। इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस साल फरवरी में साकेत जिला अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका में ये भी कहा गया है कि इस मस्जिद में पिछले 800 सालों से नमाज नहीं अदा की गई है।