आज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है। दरअसल रक्षाबंधन के त्योहार की पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ने और साथ ही भद्रा का साया रहने के कारण इसको लेकर मतभेद है कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाना शुभ होगा या फिर 31 अगस्त को।
भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। कहा जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। ऐसे में इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। न्याय के देवता शनिदेव की तरह भद्रा भी उग्र स्वभाव की हैं। कहा जाता है कि भद्रा को ब्रह्मा जी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा, उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में मनाना चहिए।
रक्षाबंधन 2023 शुभ मुहूर्त
श्रावण पूर्णिमा तिथि आरंभ- 30 अगस्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट
श्रावण पूर्णिमा तिथि समापन-31 अगस्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट
भद्राकाल- पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रा की शुरुआत
भद्राकाल की समाप्ति- 30 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट पर
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (30 अगस्त)- रात्रि 09 बजकर 03 मिनट के बाद
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (31 अगस्त)- सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक