दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। 86 वर्षीय रतन टाटा का निधन पूरे देश के लिए एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। वे कुछ दिनों से उम्रजनित बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती थे।
रतन टाटा ने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में बी.एस. की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद टाटा फर्म में शामिल हुए। उनकी मेहनत और काबिलियत के कारण वे टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बने। 1991 में उन्होंने अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह की बागडोर संभाली और तब से उन्होंने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
टाटा समूह की शुरुआत 1868 में एक छोटी कपड़ा और व्यापारिक फर्म के रूप में हुई थी, जो समय के साथ एक वैश्विक महाशक्ति बन गया। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह का व्यवसाय नमक से लेकर इस्पात, कारों से लेकर सॉफ़्टवेयर, बिजली संयंत्रों से लेकर एयरलाइन्स तक फैल गया।
वर्ष 2008 में मुंबई के ताज होटल पर हुए आतंकवादी हमले ने टाटा समूह को हिला कर रख दिया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें से 33 लोग ताज होटल में थे। रतन टाटा ने उस कठिन समय में अपनी मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई और ताज होटल को पुनः खोलने का वादा किया। साथ ही, उन्होंने मारे गए लोगों के परिवारों और घायल व्यक्तियों की देखभाल का भी वचन दिया।
हमले के बाद, रतन टाटा ने न केवल ताज होटल को पुनः खोलने का वचन दिया बल्कि टाटा समूह ने ‘ताज पब्लिक सर्विस वेलफेयर ट्रस्ट’ की स्थापना की, जो आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करता है। रतन टाटा खुद पीड़ितों के घर गए और उनकी समस्याओं को हल किया।
वर्ष 2020 में रतन टाटा ने मुंबई हमले को याद करते हुए इसे ‘अनियंत्रित विनाश’ कहा। उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर उस दिन मुंबई के लोगों की एकता और साहस की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हमले के दौरान लोगों ने सभी मतभेदों को भुलाकर आतंकवाद का सामना किया, जो हमेशा याद रखा जाएगा।
रतन टाटा ने अपने कारोबार से अर्जित संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा समाजसेवा के लिए दान किया। उनके निधन से भारतीय उद्योग जगत को एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने न केवल व्यापारिक जगत में बल्कि समाज के हर पहलू में अपनी अमिट छाप छोड़ी।