आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आज मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत की अक्टूबर 2024 की मुद्रास्फीति दर 6.2% तक पहुंच गई है, जो आरबीआई की सहनशीलता सीमा से ऊपर है। वहीं, जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 5.4% पर आ गई है।
पिछली एमपीसी बैठक का फैसला
अक्टूबर 2024 में हुई पिछली एमपीसी बैठक में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा गया था। यह बैठक इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करती है कि यह गवर्नर दास के नेतृत्व वाली अंतिम एमपीसी हो सकती है, क्योंकि उनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कार्यकाल विस्तार मिलेगा या नहीं।
विशेषज्ञों की राय: कटौती या स्थिरता?
रेपो दर को लेकर बाजार में अलग-अलग अटकलें हैं। लेमन मार्केट डेस्क के रिसर्च एनालिस्ट गौरव गर्ग ने कहा,
“बाजार को ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, जिससे पीएसयू बैंकों, निजी बैंकों और वित्तीय सेवाओं में तेजी देखी गई है। हालांकि, आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए दरों में कटौती में देरी कर सकता है।”
यदि ऐसा हुआ तो यह आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए बाजार की मौजूदा उम्मीदों को झटका दे सकता है।
आज की घोषणा पर सभी की निगाहें
दास की इस घोषणा का असर न केवल बैंकिंग सेक्टर पर बल्कि आम जनता और निवेशकों पर भी पड़ेगा। क्या राहत मिलेगी या महंगाई की मार जारी रहेगी, इसका फैसला जल्द सामने आएगा।