Real Hero : डॉ. प्रकाश का ‘ओपन होम’, जरूरतमंद लोगों के लिए मंदिर से कम नहीं ! कोई भी आकर खाना बना-खा सकता है
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अपने घर को बनाया ओपन हाउस, कोई भी आए सभी के लिए हमेशा खुला रहता है इनका घर
न्यूज डेस्क ( नेशनल थॉट्स ) : आज हम अपने पाठकों को एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे है | जिन्होंने एक ऐसा काम किया है जिससे समाज में बदलाव आएगा | हैदराबाद के डॉ प्रकाश ने 1983 में अपनी बहन को हार्ट प्रॉब्लम और अपने दोस्त को एक सड़क दुर्घटना में खो दिया। 18 साल की उम्र में इस घटना ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था।
एक समय ऐसा आया जब टूट चुके थे डॉ. प्रकाश, जरूर में मदद के लिए आगे आते है प्रकाश !
एक समय तो ऐसा आया, जब वह सोचने लगे कि अगर अंत में सब मरने वाले हैं, तो हम क्यों जियें? लेकिन उन्होंने बड़ी मुश्किल से खुद को किसी तरह संभाला और मॉस्लो के मूल्यों पर जीवन जीने का फैसला लिया। उन्होंने समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए और “अंदरी इल्लू” की शुरुआत की। अब चाहे वह परीक्षा के लिए शहर में आने वाले छात्र हों या रोटी और कपड़े की तलाश में भटकता कोई शख्स, जिसे भी ज़रूरत हो वह उनके घर में खाना बना-खा सकता है, आराम कर सकता है और किताबें पढ़ सकता है।
MBBS करने के बाद सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े
साल 1986 और 1999 के बीच, डॉ प्रकाश ने एमबीबीएस और स्वास्थ्य प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने नौ साल तक विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करते हुए सामाजिक कार्यों में कदम रखा। लेकिन वह जो कर रहे थे उससे संतुष्ट नहीं थे। प्रकाश कहते हैं, “कुछ एनजीओ धर्म या प्रसिद्ध हस्तियों के नाम से चलते हैं। मैं अपने आस-पास इस तरह की प्रथाओं से असहज महसूस करता था।
नौकरी छोड़ शुरू किया अंदरी इल्लु
फिर 1999 में, डॉ प्रकाश ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने दो मंजिला घर में एक एनजीओ शुरू किया। वह कहते हैं,”मैं यह दिखाना चाहता था कि धार्मिक कार्ड या कॉर्पोरेट धन का उपयोग किए बिना भी समाज सेवा की जा सकती है | आज प्रकाश, अपने ‘अंदरी इल्लु यानी ओपन हाउस में बर्तन व चूल्हे से लेकर राशन तक सब कुछ मुहैया कराते हैं, ताकि लोग अपना खाना खुद बना सकें और खा सकें। यह ओपन हाउस कोविड महामारी के दौरान भी खुला हुआ था। डॉ. प्रकाश का कहना है कि इससे अब तक करीब 1 लाख लोगों को फायदा हो चुका है।
मेरे घर में परेशान लोग आते है लेकिन लौटते समय मुस्कान लेकर जाते
वह कहते हैं, “जब हमारे घर में लोग परेशान हाल में आते हैं और चेहरे पर मुस्कान लेकर जाते हैं, तो मुझे बहुत सुकून मिलता है।”