भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड श्रीलंका में कोलंबो वेट इंटरनेशनल टर्मिनल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। हालांकि, इस परियोजना के लिए अमेरिकी फंडिंग लेने से इनकार कर दिया गया है। अडानी पोर्ट्स ने अपने आंतरिक स्रोतों से इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस करने का निर्णय लिया है। यह फैसला अमेरिकी फर्म द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद लिया गया है।
अमेरिकी फंडिंग से इनकार
अडानी पोर्ट्स ने यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) से 553 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता करने से इनकार कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी इस परियोजना को अपने आंतरिक स्रोतों और पूंजी प्रबंधन योजना से पूरा करेगी। इस कदम से अडानी पोर्ट्स ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बिना बाहरी फंडिंग के इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करेगी।
अडानी पर आरोपों का असर
अमेरिकी अदालतों में अडानी और उनके सहयोगियों पर कई आरोप लगे थे, जिसमें यह दावा किया गया था कि अडानी ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का वादा किया और अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाने की कोशिश की थी। इन आरोपों के बाद अडानी पोर्ट्स और गौतम अडानी ने इन दावों को खारिज किया है और रिश्वतखोरी के आरोपों से इनकार किया है।
राजनीतिक प्रभाव
इस घटनाक्रम ने भारतीय राजनीति में हलचल मचाई है, जहां विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उद्योगपति अडानी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है, क्योंकि दोनों गुजरात से ताल्लुक रखते हैं।
कोलंबो पोर्ट परियोजना
यह परियोजना कोलंबो बंदरगाह टर्मिनल के विकास से संबंधित है, जिसका ऋण समझौता पिछले वर्ष डीएफसी के साथ हुआ था। हालांकि, फंडिंग का कोई हिस्सा वितरित नहीं किया गया, लेकिन निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और इसमें स्थानीय साझेदार भी शामिल हैं।
इस कदम से अडानी पोर्ट्स ने यह साबित कर दिया है कि वह अपनी परियोजनाओं को अपने संसाधनों से पूरा करने के लिए सक्षम हैं, और इसके लिए वह किसी बाहरी फंडिंग पर निर्भर नहीं रहना चाहते।