गणतंत्र दिवस: सम्मान और समर्पण का त्योहार
गणतंत्र दिवस न केवल लोकतंत्र का होता है, बल्कि यह भी हमें हमारे संविधान के महत्वपूर्ण को याद दिलाता है। हर साल, इस दिन को श्रद्धांजलि और समर्पण के साथ मनाते हैं, जिससे हम अपने राष्ट्रीय गौरव का मान बनाए रखते हैं।
गणतंत्र दिवस 2024: उत्सव की तैयारियां शुरू
इस बार का गणतंत्र दिवस, जो हम 2024 में मनाएंगे, कई मायनों में खास होने वाला है। यह एक विशेष समारोह होने की संकेत है जिसके बारे में हम आपको सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या आप जानते हैं कि गणतंत्र दिवस का चयन 26 जनवरी क्यों किया गया? इस प्रश्न का जवाब हम आपको इस बारे में बताएंगे, ताकि आप इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को समझ सकें।
भारत हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता है लेकिन वजह संविधान के अलावा भी कुछ है। दरअसल, 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद, हमारा देश अभी तक एक आधिकारिक संविधान के बिना था। इसीलिए, 29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई गई। इस समिति का नेतृत्व डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने किया और इसमें के.एम. मुंशी, मुहम्मद सादुल्लाह, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, गोपाला स्वामी अयंगार, एन. माधव राव, और टी.टी. कृष्णमाचारी जैसे बड़े दिग्गज शामिल थे।
फिर आया 4 नवंबर 1947, एक महत्वपूर्ण दिन जब भारत के भविष्य को दिशा देने वाले दस्तावेज –संविधान का मसौदा तैयार होकर संविधान सभा के सामने पेश किया गया। अगले दो सालों में संविधान सभा ने कई बैठकें कीं, इस मसौदे पर चर्चा की, कई बदलाव किए और आखिरकार 24 जनवरी 1950 को इसे स्वीकार कर लिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था। 308 सदस्यों ने संविधान की दो प्रतियों पर हस्ताक्षर किए।
एक हिंदी में और दूसरी अंग्रेजी में। इस कदम ने भारत को एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापित किया। अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन कानून (1935) की जगह अब भारत का अपना संविधान देश का मुख्य कानूनी दस्तावेज बन चुका था। हालांकि, संविधान सभा ने तय किया कि संविधान को लागू करने के लिए दो दिन और इंतजार किया जाएगा। अगले दो दिनों में ही 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और इसी के साथ भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया। इसलिए हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं और अपने संविधान का गौरव मनाते हैं।
26 जनवरी चुनने के पीछे यह थी वजह
संविधान सभा ने इस उद्देश्य के लिए 26 जनवरी को चुनते हुए, राष्ट्रीय गौरव के पर्याय के रूप में एक दिन पर दस्तावेज को स्थापित करने का लक्ष्य रखा। इस तिथि का महत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से मिलता है। कांग्रेस ने अपने लाहौर सत्र के दौरान 26 जनवरी 1930 को ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) के दिन के रूप में नामित किया था, जिसमें सभी भारतीयों से इसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया गया था।