डीएलएफ कैपिटल ग्रीन(सीजी) दिल्ली के आसमान छूते टावरों में रहनेवाले परिवारों के ऊँचे अरमान सात सालों में ही ज़मीन पर आ गए हैंl डीएलएफ ने सुन्दर सपने दिखाकर फ़्लैट बेचे और अब मोटा मेंटेनेंस चार्ज भी ले रहा है, तब भी निवासी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए मोहताज हैंl डीएलएफ के अन्याय से परेशान सीजी के एक-से-एक पढ़े-लिखे, क़ाबिल निवासी अब गाँधीवादी तरीके से सड़क पर उतर आए हैंl इसी क्रम में निवासियों ने डीएलएफ के खिलाफ़ बड़ी संख्या में सविनय विरोध मार्च निकाला l निवासियों से पता चला कि पाँच सौ से ज़्यादा लोगों ने कैम चार्ज देना रोक दिया है और अगली तिमाही में बाक़ी बचे लोग भी कैम चार्ज रोक देंगेl कैपिटल ग्रीन निवासी पर्यावरणविद श्री कपिला जी ने हमारे संवाददाता को बताया कि पैसे बचाने के लिए डीएलएफ ने बालकनी के रेलिंग की ऊँचाई नियमानुसार तय ऊँचाई से कम कर दी थी जबकि पिछले तीन सालों में टावरों से गिरकर पाँच मौतें हो चुकीं हैंl चिट्ठियाँ लिखने के बाद भी डीएलएफ को कोई फ़र्क नहीं पड़ताl फ्री पानी के हकदार होने बावजूद निवासी टैंकर का पानी पीने को मजबूर हैंl हाल में जल बोर्ड ने 12 इंच लाइन से पानी देना शुरू किया है पर डीएलएफ ने इसी लाइन से 6 इंच की पानी की लाईन मिड टाउन-1 को दे दिया जबकि इसके लिए अलग पानी का कनेक्शन लेना चाहिए था। सवाल है कि पेयजल सुनिश्चित किए बिना NOC कैसे दिया गया? यही सवाल मिड टाउन-1 के बारे में भी हैl वादा करने के बावज़ूद डीएलएफ सीजी निवासियों का क्लब मार गयाl तीसमंज़िला टावरों में लिफ़्टों की हालत ख़तरनाक हो चुकी हैl लेकिन, डीएलएफ़ का जोर सीजी-परिसर में खड़े किए गए मिडटाउन- वन प्रोजेक्ट से पैसा उगाही पर है। डीएलएफ़ किसी ख़र्चे का हिसाब नहीं देता, पारदर्शिता है ही नहींl इंफ्रास्ट्रक्चर पर लागत बिल्डर वहन करता है, लेकिन डीएलएफ़ ने उसे भी निवासियों पर डाल दिया है। ऐसी कई गंभीर समस्याएँ हैं जिनके लिए निवासी चाहते हैं कि डीएलएफ़ उनके साथ मीटिंग करे और समस्याओं का हल निकाले, लेकिन न जाने क्यों, डीएलएफ चाहता ही नहीं हैl आंदोलनरत निवासियों ने बताया कि समस्याओं के समाधान होने तक कैम चार्ज रोकने के आलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा हैl समाधान होने तक सविनय अवज्ञा और विरोध जारी