डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिकी यूनिवर्सिटियों का छात्रों को यात्रा परामर्श
डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति के रूप में जनवरी में पदभार ग्रहण करने से पहले, अमेरिका में अध्ययन और काम करने वाले भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने संभावित यात्रा प्रतिबंधों के डर से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को शपथ ग्रहण से पहले देश लौटने की सलाह दी है।
ट्रंप की नीतियों से बढ़ी चिंताएं
20 जनवरी को शपथ लेने वाले ट्रंप ने अपने पहले दिन आव्रजन और आर्थिक नीतियों पर बड़े फैसले लेने की घोषणा की है। यह कदम 2017 के उनके पहले कार्यकाल के दौरान यात्रा प्रतिबंधों और आव्रजन नीतियों में बदलाव के कारण हुए विवादों की याद दिलाता है।
यूनिवर्सिटियों का छात्रों को परामर्श
मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट ने अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौटने की सलाह दी है।
वेस्लेयन विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय ने छात्रों से 19 जनवरी तक अमेरिका में रहने की अपील की।
MIT के एसोसिएट डीन डेविड एल्वेल ने छात्रों को अप्रत्याशित नीतिगत बदलावों और वीज़ा संबंधित समस्याओं को लेकर सतर्क रहने को कहा।
2017 के प्रतिबंधों का प्रभाव
ट्रंप के 2017 के कार्यकारी आदेश, जिसमें सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया गया था, ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और पेशेवरों के लिए कई चुनौतियां खड़ी की थीं। इससे हजारों लोगों को परेशानी हुई थी और आव्रजन नीतियों पर सवाल उठे थे।
भारतीय छात्रों पर विशेष प्रभाव
अमेरिका में भारतीय छात्र उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा समूह बन चुके हैं। 2024 की ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार, 331,602 भारतीय छात्रों ने अमेरिकी संस्थानों में दाखिला लिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23% की वृद्धि है। ट्रंप प्रशासन की नई नीतियों से इस जनसांख्यिकी पर बड़ा असर पड़ सकता है।
सरकार और विश्वविद्यालयों का रुख
येल विश्वविद्यालय ने छात्रों को संभावित नीतिगत परिवर्तनों पर जानकारी देने के लिए वेबिनार आयोजित किया।
कई विश्वविद्यालय ट्रंप प्रशासन की किसी भी विघटनकारी नीति का कानूनी रूप से मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को यात्रा नियमों पर अपडेट रहने की सलाह दी है। डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकाल की नीतियां अमेरिका में भारतीय छात्रों और पेशेवरों के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में छात्रों और संस्थानों को सतर्क रहकर योजना बनानी होगी, ताकि संभावित समस्याओं का सामना किया जा सके।