कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुए रेप और मर्डर मामले में लगातार नए और हैरान करने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं।
जांच के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के विधायक निर्मल घोष ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारियों के समक्ष पेशी दी।
सीबीआई ने पहले पोस्टमार्टम करने वाली टीम के सदस्य, फॉरेंसिक डॉक्टर अपूर्वा विस्वास को भी तलब किया।
बीजेपी नेता और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि पूछताछ के बाद एक व्यक्ति, जो खुद को पीड़िता का चाचा बता रहा था, धमकी दे रहा था कि यदि पोस्टमार्टम समय पर नहीं हुआ तो ‘खून की नदी’ बह जाएगी। यह व्यक्ति पूर्व पार्षद संजीव मुखर्जी था, जो पानीहाटी नगर पालिका के पूर्व सीपीआईएम पार्षद हैं। उन्होंने बाद में टीएमसी में शामिल होकर विधायक निर्मल घोष के करीबी सहयोगी बन गए।
पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में किया गया, जबकि पुलिस श्मशान घाट पर कार्रवाई की निगरानी कर रही थी। विधायक निर्मल घोष भी ममता बनर्जी के निर्देशानुसार वहां मौजूद थे।
अजीब बात यह है कि संजीव मुखर्जी ने दाह संस्कार प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर किए, जबकि वे पीड़िता के रिश्तेदार नहीं हैं। दस्तावेज पर एक और नाम, सोमनाथ डे, भी है, जो पानीहाटी नगर पालिका के एक और पूर्व टीएमसी पार्षद हैं। क्या वे वही व्यक्ति हैं?
यह मामला अब राजनीति और कानून की परिधि में नए मोड़ लेता जा रहा है।