नई दिल्ली: भारत समेत दुनिया के 6 देशों में चावल के रेकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। इसके बावजूद चावल की कीमत बीते 11 साल में सबसे उंची पहुंच गई हैं। जानकारों का मानना है कि अभी इस में और तेजी आने की संभावना है।
दुनियाभर में तीन अरब से अधिक लोगों का मुख्य भोजन चावल है और दुनिया का 90 परसेंट चावल एशिया में होता है। दुनिया में चावल के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी करीब 40 परसेंट है।
भारत दुनिया को करता है सस्ता चावल सप्लाई
देश में चावल की कीमत नौ फीसदी की तेजी के साथ पांच साल के हाई पर पहुंच गई है। इस साल अल नीनो के कारण मॉनसून के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन अभी इसमें काफी समय है। उससे पहले ही चावल की कीमत में तेजी आने लगी है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) का ग्लोबल राइस प्राइस इंडेक्स 11 साल के हाई पर पहुंच चुका है। यह स्थिति तब है जबकि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने दुनिया में चावल उपजाने वाले सभी छह देशों में रेकॉर्ड उत्पादन का अनुमान जताया है। इनमें बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
यूक्रेन-रूस हमले और मौसमी कारणों से सप्लाई प्रभावित हैं
पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले और मौसमी कारणों से चावल की सप्लाई टाइट है। इनका उत्पादन करने वाले देशों ने घरेलू स्तर पर कीमतों को काबू में रखने के लिए एक्सपोर्ट बंद कर दिया। राइस एक्पोटर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट बीके कृष्णा राव ने रॉयटर्स से कहा कि भारत दुनिया में सबसे सस्ता चावल बेच रहा था। न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से कीमतें बढ़ गई। इससे दूसरे देशों ने भी चावल की कीमत बढ़ानी शुरू कर दी है।