बिहार में जाति की राजनीति हमेशा से विवाद का विषय रही है, और हाल ही में एक वरिष्ठ मंत्री के बयान ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री और नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी ने जहानाबाद में एक टिप्पणी की, जो विवादास्पद बन गई है। चौधरी ने भूमिहार जाति को लेकर कहा कि जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तो इस जाति ने नीतीश कुमार को वोट नहीं दिया। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
अशोक चौधरी के बयान के बाद उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भी बैकफुट पर आकर इस बयान से किनारा कर लिया है। जदयू के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने 19 वर्षों के शासनकाल में सभी जातियों, धर्मों और वर्गों का ध्यान रखा है और सभी ने उनका समर्थन किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अशोक चौधरी का बयान जदयू की पार्टी लाइन से मेल नहीं खाता और यह व्यक्तिगत विचार हो सकता है।
जदयू के एमएलसी नीरज कुमार ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नीतीश कुमार जाति की राजनीति नहीं करते हैं और राजनीतिक घृणा उनकी कार्यशैली का हिस्सा नहीं है। उन्होंने अशोक चौधरी को ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी। भाजपा ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा सभी समाजों के लिए काम करती है और यह बयान अनावश्यक है। भाजपा के सर्वेश मिश्रा ने कहा कि यह दावा कि भूमिहारों ने जदयू को वोट नहीं दिया, गलत है और नेताओं को इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए।
पूर्व सांसद और नीतीश कुमार के करीबी रहे अरुण कुमार ने भी अशोक चौधरी और जदयू पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अशोक चौधरी का यह बयान उनके बौद्धिक दिवालियापन को दर्शाता है और इससे उन्हें महंगा पड़ सकता है। अरुण कुमार ने आरोप लगाया कि सत्ता के सहारे अशोक चौधरी की आवाज बुलंद हो रही है और यह स्थिति जदयू के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।