इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भारत-चीन सीमा विवाद को “बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया मुद्दा” करार दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को “दुश्मन परिभाषित करने की आदत” है और इसी कारण यह विवाद ज़रूरत से ज़्यादा तूल पकड़ रहा है। पित्रोदा के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे भारत की संप्रभुता और कूटनीति पर गहरा आघात बताया।
अमेरिका पर साधा निशाना
पित्रोदा ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, “मुझे चीन से कोई खतरा महसूस नहीं होता। यह मुद्दा अमेरिका की वजह से बार-बार उछाला जाता है, क्योंकि उसे हमेशा एक दुश्मन चाहिए।” उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता दें न कि टकराव को।
सीमा विवाद पर भारत के रुख की आलोचना
सैम पित्रोदा ने भारत के रवैये की भी आलोचना करते हुए कहा कि “शुरुआत से ही भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला रहा है”, जो “दुश्मन पैदा करता है”। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को संवाद और सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, न कि केवल टकराव की मानसिकता अपनानी चाहिए।
ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश और भारत का जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-चीन विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी। ट्रंप ने कहा, “मैं भारत-चीन सीमा पर जारी झड़पों को देख रहा हूं, जो काफी क्रूर हैं। अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो करना चाहूंगा, क्योंकि यह हिंसा लंबे समय से जारी है।”
हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि भारत ने हमेशा द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है और चीन के साथ अपने मुद्दे सीधे बातचीत के ज़रिए हल करने की नीति पर चलता रहेगा।
भाजपा ने किया पलटवार
भाजपा ने सैम पित्रोदा के बयान की कड़ी निंदा की। पार्टी नेता सुधांशु पांडे ने कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी राहुल गांधी और कांग्रेस नेता चीन का बचाव कर चुके हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि “कांग्रेस के नेता चीन की आर्थिक नीतियों की तारीफ करते हैं, जबकि वहां की बेरोजगारी दर सिर्फ 24% है।” पांडे ने यह भी कहा कि “पित्रोदा की टिप्पणी 2020 के गलवान संघर्ष में शहीद हुए भारतीय जवानों के बलिदान का अपमान है।”
सैम पित्रोदा के बयान पर मचे सियासी घमासान के बीच भाजपा ने इसे भारत की संप्रभुता पर हमला बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे शांति और सहयोग की दिशा में सोचने की अपील कहा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन के साथ अपने सभी मुद्दे सीधे और द्विपक्षीय वार्ता के ज़रिए सुलझाएगा, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं है।