संभल जामा मस्जिद: एएसआई ने निरीक्षण की चुनौतियां और बदलावों पर उठाए सवाल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के निरीक्षण में आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। यह मुद्दा तब चर्चा में आया जब मस्जिद पर किए गए सर्वेक्षण के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें पांच लोगों की मौत और 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
मस्जिद में संशोधन और एएसआई की आपत्तियां
हलफनामे के अनुसार, यह मुगलकालीन मस्जिद, जिसे 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, में समय-समय पर कई अनधिकृत संशोधन किए गए हैं। मस्जिद प्रबंधन समिति पर संरचना में बदलाव करने का आरोप लगाया गया है, जिससे एएसआई अधिकारियों के लिए निरीक्षण करना मुश्किल हो गया।
एएसआई निरीक्षण में बाधाएं और सहयोग
एएसआई ने दावा किया है कि उनके अधिकारियों को अक्सर मस्जिद की साइट पर निरीक्षण करने से रोका जाता है। हालांकि, 1998 में जिला प्रशासन के सहयोग से एक निरीक्षण किया गया। इसके बाद 25 जून 2024 को एक और निरीक्षण में मस्जिद में कई नए बदलाव पाए गए।
अनधिकृत हस्तक्षेप और कानूनी कार्रवाई
हलफनामे में कहा गया है कि जब भी अनधिकृत हस्तक्षेप देखा गया, तो स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और संबंधित लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। हालांकि, निरीक्षण पर बार-बार लगाए गए प्रतिबंधों ने एएसआई टीम के लिए स्मारक की स्थिति का सही आकलन करना मुश्किल बना दिया।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने संभल की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि मस्जिद समिति के हाई कोर्ट जाने तक सर्वेक्षण मामले को आगे न बढ़ाया जाए। साथ ही, एडवोकेट कमिश्नर की सर्वेक्षण रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया गया। संभल जामा मस्जिद का सर्वेक्षण विवाद अब कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर पहुंच गया है। एएसआई द्वारा संरक्षित स्थलों की सुरक्षा और उनकी ऐतिहासिक महत्ता को बनाए रखने के लिए इस मुद्दे का समाधान आवश्यक है।