तेलंगाना हाई कोर्ट ने झीलों के बफर जोन और फुल टैंक लेवल (एफटीएल) में अवैध निर्माण को मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। न्यायमूर्ति सीवी भास्कर रेड्डी ने इस सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे निर्माणों को हटाने के लिए मुआवजा देना अनुचित है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो अधिकारी इन अवैध गतिविधियों को अनुमति देंगे, उन्हें आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ सकता है, और उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं।
अवैध निर्माण और विध्वंस नोटिस पर कोर्ट की टिप्पणी
यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें दावा किया गया था कि सिंचाई विभाग ने शमशाबाद जिले के मंगरशिकुंटा के एफटीएल और बफर जोन में अवैध निर्माणों के लिए विध्वंस नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्हें पहले निर्माण की अनुमति मिली थी, लेकिन बाद में उन्हें 4 दिसंबर को विध्वंस का नोटिस भेजा गया, जिसमें सात दिनों के भीतर निर्माण हटाने की मांग की गई थी।
न्यायालय ने अधिकारियों से उचित प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया
न्यायमूर्ति रेड्डी ने पूछा कि अवैध निर्माण की अनुमति क्यों दी गई थी और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उचित प्रक्रिया का पालन करें। कोर्ट ने एफटीएल और बफर जोन को लेकर स्पष्ट नियमों का पालन करने का आदेश दिया और नोटिस जारी करने के लिए अधिकारियों को 15 दिनों का समय दिया। याचिकाकर्ताओं को विध्वंस आदेश का विरोध करने के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
जल निकायों का संरक्षण और अधिकारी की जिम्मेदारी
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह जल निकायों के संरक्षण का समर्थन करती है, लेकिन अवैध निर्माण की अनुमति देने और विध्वंस आदेशों के कार्यान्वयन में अधिकारियों की अनियमितताओं और लापरवाही का वह कड़ा विरोध करती है। फुल टैंक लेवल (एफटीएल) उस अधिकतम जल स्तर को दर्शाता है जिस तक जल भंडारण क्षमता पहुंच सकती है, और इसे जल निकाय के संरक्षण के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।