भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित निजी कुएं से संबंधित है। मस्जिद समिति ने अदालत से यह अनुरोध किया है कि जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया जाए कि कुएं के संबंध में यथास्थिति बनी रहे।
उत्तर प्रदेश सरकार का बयान
सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि वह कुआं एक सार्वजनिक कुआं है, निजी नहीं, जैसा कि मस्जिद समिति ने दावा किया है। राज्य सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि क्षेत्र में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है।
मस्जिद समिति की असहमति
हालाँकि, मस्जिद समिति ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि कुएं का उपयोग मस्जिद द्वारा पानी की आपूर्ति के लिए किया जाता है और इसमें कोई भी हस्तक्षेप मस्जिद के संचालन को प्रभावित कर सकता है। समिति ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह जिला प्रशासन की ओर से किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाए, जब तक अदालत की पूर्व मंजूरी न हो।
कानूनी पहलू और अगले कदम
इस मामले ने धार्मिक संपत्ति प्रबंधन और स्थानीय प्रशासनिक मामलों को लेकर महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई 21 फरवरी 2025 को होगी, जब अदालत स्थिति और राज्य अधिकारियों की रिपोर्ट की समीक्षा करेगी।
देशभर में प्रभाव
इस मामले का नतीजा धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका को लेकर एक कानूनी मिसाल कायम कर सकता है।