सनातन धर्म में शनि त्रयोदशी व्रत का विशेष महत्व है। इसे शनि प्रदोष भी कहा जाता है। जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और शनि देव की विशेष पूजा और व्रत करने से मानसिक शांति, दुखों का निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
शनि त्रयोदशी 2024 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ:
27 दिसंबर, शुक्रवार को रात 2:28 बजे
तिथि समाप्ति:
28 दिसंबर, शनिवार को रात 3:32 बजे
इस वर्ष शनि त्रयोदशी का व्रत 28 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।
शनि त्रयोदशी व्रत पूजा विधि
सुबह की तैयारियां:
सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
मंदिर की साफ-सफाई करें।
व्रत का संकल्प लें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं।
पूजा की विधि
भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
उनके समक्ष दीपक जलाएं और फल, फूल, मिठाई अर्पित करें।
शिव जी को बेलपत्र चढ़ाएं।
पूजा करते समय उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें।
प्रदोष काल (संध्या समय) में पूजा करना शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान फलाहार कर सकते हैं।
भगवान शिव के मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।
शनि देव पूजन मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नम:।
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
शनि त्रयोदशी का फल
इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से:
शनि देव का आशीर्वाद मिलता है।
दुख और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
शनि त्रयोदशी व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करने से भगवान शिव और शनि देव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।