नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – नवरात्रि, मां दुर्गा के भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है। इन नौ दिनों के दौरान, भक्त उत्साह से भरे रहते हैं। नवरात्रि के इन नौ दिनों में, मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इसका आरंभ अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है और इसे ‘शारदीय नवरात्रि’ कहा जाता है। इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से आरंभ हो रही है और 24 अक्टूबर को दशहरा के दिन समाप्त होगी।
कलश स्थापना के लिए सामग्रियां
कलश, मौली, आम के पत्ते का पल्लव (5 आम के पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत।
जवार बोने के लिए सामग्री
मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा।
अखंड ज्योति जलाने के लिए सामग्री
पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षत
नौ दिन के लिए हवन सामग्री
नवरात्रि के दौरान भक्त पूरे नौ दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोलीया कुमकुम, अक्षत (चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमलगट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आचमन के लिए)।
माता रानी के श्रृंगार के लिए सामग्री
नवरात्रि में मां दुर्गा को श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित करनी चाहिए। ये श्रृंगार सामग्री हैं- लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य चीजें।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना यानी घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक है। ऐसे में शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए आपके पास 45 मिनट का समय है।