आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है, जिसमें जगत जननी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। इस महापर्व पर श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्र की पूजा विधि और घटस्थापना के शुभ मुहूर्त के बारे में।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। घटस्थापना नवरात्रि पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, और इसे विधिपूर्वक करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। पंडितों के अनुसार, सही समय और विधि से की गई घटस्थापना से माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि के 9 दिनों में हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को भोग लगाया जाता है। यह भोग मां को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। हर दिन के अनुसार अलग-अलग भोग चढ़ाने से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस साल नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर 2024 को रात 12:18 बजे से शुरू होकर 4 अक्तूबर को रात 2:58 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
पहला शुभ मुहूर्त: 3 अक्तूबर को सुबह 6:15 से 7:22 बजे तक।
दूसरा शुभ मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त में 11:46 से 12:33 बजे तक।
चौघड़िया मुहूर्त:शुभ: सुबह 6:16 से 7:47 बजे तक।
लाभ: दोपहर 12:20 से 1:51 बजे तक।
अमृत: दोपहर 1:51 से 3:21 बजे तक।
शुभ: शाम 4:52 से 6:23 बजे तक।
घटस्थापना के लिए सामग्री का सही उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है।
1. कलश में नदी की रेत और जौ डालें।
2. कलश पर स्वास्तिक बनाकर मौली बांधें।
3. जल, गंगाजल, इलायची, सुपारी, पान, लौंग, हल्दी, और अक्षत डालें।
4. कलश में आम या अशोक की टहनी रखें।
5. नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर मौली बांधें और कलश के ऊपर रखें।
6. ‘ॐ भूम्यै नमः’ का जाप करते हुए कलश को स्थापित करें।
7. नौ दिनों तक अखंड दीपक जलाएं।
पूरे विधि-विधान से की गई पूजा से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है। नवरात्र के नौ दिनों में मां के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा उपासना, व्रत, और मंत्रों का जाप व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी करता है और घर में शांति, सुख, और समृद्धि का संचार करता है।
धार्मिक अनुष्ठानों में कलश स्थापना को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश में सभी ग्रह, नक्षत्र, और तीर्थों का निवास होता है। कलश स्थापना के साथ नवरात्रि की पूजा का आरंभ होता है, जो नौ दिनों तक चलती है और घर को पवित्र और समृद्ध बनाती है।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।