कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुधवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए। यह मामला कथित अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें उन्हें समन जारी कर मुआवजा साइट आवंटन में संलिप्तता पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इस मामले में मुख्यमंत्री को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
लोकायुक्त पुलिस ने 25 अक्टूबर को सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी एम से भी पूछताछ की थी, जिन्हें इस मामले में आरोपी नंबर 2 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। एफआईआर में सिद्धारमैया पर उनकी पत्नी को 14 साइटों का विवादित आवंटन करने के आरोप हैं, जो विजयनगर लेआउट जैसे प्रमुख स्थानों में स्थित हैं।
इस मामले पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका पर सिद्धारमैया और अन्य को नोटिस जारी किया है। याचिका में इस मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है। उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त को अब तक की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 26 नवंबर निर्धारित की।
MUDA घोटाले में आरोप है कि पार्वती बी एम को मुआवजे के रूप में MUDA द्वारा 14 प्रमुख भूखंडों का आवंटन किया गया, जो उनके स्वामित्व वाली भूमि के बदले दिए गए थे। यह भूमि 2010 में पार्वती को उनके भाई द्वारा उपहार में दी गई थी और बाद में MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई। 2021 में पार्वती ने मुआवजे के रूप में एक वैकल्पिक साइट की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप 2022 में 14 साइटों का आवंटन हुआ।
सीएम सिद्धारमैया के इस मामले में बयान पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “सीएम को इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है। यह मामला राजनीति से प्रेरित है, और सीएम कानून का पालन करते हुए पूरी जांच का सामना करेंगे। उन्हें पूरा भरोसा है कि इस मामले में सच्चाई सामने आएगी।”
MUDA मामले में सिद्धारमैया की पेशी और कांग्रेस का समर्थन इस बात का संकेत है कि पार्टी इस मुद्दे पर एकजुट है।