सोमवती अमावस्या का दिन आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण, और भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना से पापों का नाश होता है और पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
आरंभ: 30 दिसंबर, सुबह 04:01 बजे
समापन: 31 दिसंबर, सुबह 03:56 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:24 से 06:19 तक
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि
- प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर जल और गंगाजल अर्पित करें।
- वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और “ॐ नम: शिवाय” का जाप करें।
- भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
सोमवती अमावस्या पर दान का महत्व
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
पिंडदान: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए।
तर्पण: पितृ दोष से मुक्ति के लिए।
भोजन और वस्त्र दान: आर्थिक तंगी और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण कन्या ने सोना धोबिन की सेवा कर अपने वैधव्य योग को समाप्त किया। उसने सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की परिक्रमा और भंवरी देकर अपने पति के मृत शरीर में प्राण लौटा दिए।
तुलसी पूजन के उपाय
तुलसी के पौधे की 11 या 21 बार परिक्रमा करें और तुलसी मंत्र का जाप करें। यह पितृ दोष से मुक्ति और गृह कलह से बचाव के लिए शुभ है।
आर्थिक लाभ के लिए उपाय
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र जाप करें।
शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
सोमवती अमावस्या पर विशेष उपाय
सुहागिन महिलाएं पीपल की पूजा करें।
पीपल पर कच्चा दूध, जल, हल्दी और चावल अर्पित करें।
परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें।
सोमवती अमावस्या का दिन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाने का एक विशेष अवसर है। इस दिन श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा-अर्चना और दान करने से पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।