सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के अजिज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया है। अब तीन जजों की बेंच यह तय करेगी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की सात-सदस्यीय संविधान पीठ ने एएमयू की अल्पसंख्यक स्थिति बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। यह बहस का केंद्र रहा है कि 1920 में स्थापित एएमयू को भारतीय संविधान के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में इस खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में चार अलग-अलग रायें सामने आई हैं। इनमें से तीन असहमति वाले फैसले हैं। सीजेआई ने बहुमत का फैसला लिखा है, जबकि जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस चंद्र शर्मा ने अपने-अपने असहमति वाले विचार प्रस्तुत किए हैं।
अब इस मामले पर तीन जजों की बेंच विस्तृत समीक्षा करेगी और यह तय करेगी कि एएमयू की अल्पसंख्यक स्थिति जारी रहेगी या नहीं।