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Supreme Court’s instructions: सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए, निचली अदालत न ले एक्शन

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सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्देश: संभल मस्जिद मामले में ट्रायल कोर्ट पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद मामले में ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि जब तक शाही ईदगाह कमेटी हाईकोर्ट नहीं जाती, तब तक मामले को आगे न बढ़ाया जाए। कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर द्वारा तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का निर्देश भी दिया है। इस मामले की सुनवाई 6 जनवरी, 2025 के सप्ताह में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने कमिश्नर को अपनी रिपोर्ट सीलबंद कवर में दाखिल करने का आदेश भी दिया।

मामले की उच्च न्यायालय में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आवेदन दाखिल करने के लिए कहा और यह भी निर्देश दिया कि इसे 3 कार्य दिवसों में हाईकोर्ट में सूचीबद्ध किया जाए। इस फैसले से ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर सीमित रोक लगी है।

सपा और अन्य दलों की प्रतिक्रियाएं

सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि समाजवादी पार्टी की मांग है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज को शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए, न कि जिला अदालत में। इसके अलावा, आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने भी सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद जताई कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करेगा और अत्याचार को रोकेगा।

केंद्र और अन्य नेताओं की टिप्पणियाँ

केंद्रीय मंत्री जयंत सिंह चौधरी ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है और सुप्रीम कोर्ट को इस पर दिशानिर्देश तय करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए और भीड़ को भड़काने से बचना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मामले में एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

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