बिहार में जहरीली शराब त्रासदी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि शराबबंदी नीतीश कुमार के शासन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है और जदयू नेताओं की आड़ में 30,000 करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है।
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार अपने पहले दो कार्यकाल में हजारों शराब की दुकानें खोलने के बाद अब महात्मा बनने का नाटक कर रहे हैं। हाल ही में हुई जहरीली शराब त्रासदी में 33 लोगों की जान गई है, जिसमें से 28 लोग सीवान के और 5 सारण के हैं। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है।
तेजस्वी ने एक्स पर लिखा, “बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकानें खुलवाने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने अपने पहले 10 वर्षों में बिहार में शराब की खपत बढ़ाने के हर उपाय किए और अब अवैध शराब बेचने के हर उपाय कर रहे हैं।”
तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार की तथाकथित शराबबंदी के बावजूद स्थिति इतनी खराब है कि हर दिन औसतन 400 से अधिक लोग शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार होते हैं। बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग की ओर से हर दिन लगभग 6600 छापेमारी होती है, यानी हर घंटे 275 छापेमारी। इसके बावजूद अवैध शराब का कारोबार जारी है।
तेजस्वी यादव ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि शराबबंदी के उल्लंघन के 8.43 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 12.7 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 95% दलित और वंचित जातियों के लोग शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शराबबंदी नीतीश कुमार के शासन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है और इसका सबसे अधिक शोषण वंचित जातियों के साथ किया जा रहा है।
तेजस्वी यादव के आरोप ने बिहार में शराबबंदी और नीतीश कुमार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या बिहार में शराबबंदी सच में एक भ्रष्टाचार का मुखौटा है? यह सवाल अब राज्य की राजनीति में और भी अधिक चर्चा का विषय बन गया है।