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“ओडिशा के भद्रक में तनाव: पुलिस तैनात, इंटरनेट बैन, पथराव के बाद 9 गिरफ्तार”

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भद्रक, ओडिशा में सांप्रदायिक संवेदनशीलता का पुराना इतिहास है। अप्रैल 2017 में, एक भड़काऊ फेसबुक पोस्ट के बाद यहां हिंसक झड़पें हुई थीं, जिससे 450 से अधिक प्रतिष्ठान नष्ट हुए और 9 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। यह हिंसा इतनी गंभीर थी कि पूरे शहर में एक महीने से ज्यादा कर्फ्यू लगा रहा, जो राज्य के इतिहास का सबसे लंबा कर्फ्यू था।

हाल के दिनों में, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट के चलते भद्रक में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ। इसके जवाब में ओडिशा सरकार ने भद्रक जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं। सरकारी आदेश के मुताबिक, 30 सितंबर तक व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की सेवाएं बंद रहेंगी ताकि सांप्रदायिक हिंसा को और बढ़ने से रोका जा सके।

विशेष समुदाय के लोगों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया, जिससे पुलिस वाहन को नुकसान हुआ। रैली निकालने से रोके जाने पर हिंसा भड़क उठी। पथराव की घटना के बाद 9 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस बीच, डीआईजी सत्यजीत नाइक ने पथराव में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा देने का आश्वासन दिया है।

भद्रक में भारी तनाव के चलते पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है। शहर में 10 प्लाटून से अधिक पुलिस बल तैनात किए गए हैं, और इलाके में फ्लैग मार्च किया जा रहा है। पुलिस ने कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए गश्त और निगरानी बढ़ा दी है।

प्रदर्शनकारियों ने संथिया पुल को जाम कर दिया, जो कचेरीबाजार और पुरुनाबाजार को जोड़ता है। वे सोशल मीडिया पोस्ट के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ ने पथराव करना शुरू कर दिया। इस घटना में एक डीएसपी और एक सब-इंस्पेक्टर घायल हो गए, और पुलिस वाहन को नुकसान पहुंचा।

ओडिशा गृह विभाग के आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया गया है। यह कदम सांप्रदायिक शांति बहाल करने और जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

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