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Territorial Army may be deployed to stop increasing pollution in Yamuna

यमुना में बढ़ते प्रदूषण को रोकने लिए लगाई जा सकती है प्रादेशिक सेना

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नई दिल्ली (नेशनल थॉटस्)- सरकारें दिल्ली में बहने वाली यमुना को स्वच्छ करने का दम तो  बीते कई दशकों से भर रही हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं। मौजूदा सरकार की भांति पूर्व में रही सरकारों ने भी यमुना सफाई पर कई परकार की समितियां बनाई, हजारों करोड़ का बजट दिया लेकिन मैली यमुना अब तक साफ नहीं हुई।

आज दिल्ली के उप-राज्यपाल ने यमुना सफाई मामले पर उच्च स्तरीय समिति की दूसरी बैठक में सीवर की डी सिल्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीटीपी) समेत कई मुद्दों पर जानकारी ली, और इनसे होने वाले प्रदूषण को दूर करने के लिए की गई कार्रवाई की समीक्षा की।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की लगातार निगरानी के बावजूद पिछले 29 वर्षों से लंबित यमुना की सफाई और कायाकल्प की शुरुआत एलजी की पहल पर हुई है। आजकी बैठक में यमुना के प्रदूषण को रोकने और निगरानी के लिए पहली बार प्रादेशिक सेना की तैनाती की जाने की रूपरेखा बताई गी।

इस दौरान पहली बार बताया गया कि प्रादेशिक सेना की 94 सदस्यीय कंपनी यमुना को प्रदूषित करने वाले सभी नालों और उप-नालों की जमीनी स्तर पर निगरानी करेगी। वहीं सितंबर तक काम पूरा करने की समय सीमा तय की गई 12 इकाइयों पर 55 लाख का जुर्माना भी किया गया। बैठक के दौरान उपराज्यपाल ने नालों की देखरेख और स्वामित्व रखने वाली एजेंसियों जैसे पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, डीडीए, डीजेबी, डीएसआईआईडीसी से कहा कि वो मौके पर जाकर निरीक्षण के बाद 15 दिनों के भीतर उन सभी अवैध उप-नालों की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

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