नेहा गोस्वामी
चौरसो, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
गांव का हाल अब मुझसे देखा नहीं जाता,
लड़कियों के लिए ताने अब सहा नहीं जाता,
गांव की हालत अब ऐसी हो गई,
लड़कियों को पराया धन समझा गया है,
अरे गांव के लोगों ! बाहर की दुनिया देखो,
कहां से कहां पहुंच गई है लड़कियां,
लड़कियों को भी एक बार मौका दीजिए,
उन पर भी एक बार भरोसा कीजिए,
कोई पुलिस, कोई डॉक्टर, कोई अफसर,
इनको अपनी आंखों से देख लिजिए,
लड़कियां पराया धन है ये काला पर्दा हटा दिजिए अब,
दूसरों की सुनने वालों अपने आप की सुनोगे कब?
लड़कियां क्या कुछ कर नहीं सकती हैं,
मां बाप की हिम्मत देखकर दुनिया वालों से भी लड़ सकती हैं,
दुनिया चाहे कुछ भी कहे,
लड़कियों को रुकने देना मत,
उनके अंदर भी कुछ चाह होगी,
पढ़ने लिखने को वो तड़पती होगी,
गांव वाले क्या कुछ नहीं कहेंगे,
उनकी सोच को हमें अब बदलना है,
लड़कियां भी कुछ कर सकती हैं, ये सबको बताना है।।
चरखा फीचर
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अपनी राह मैं खुद बनाऊंगी
लक्ष्मी गढ़िया
पोथिंग, कपकोट
बागेश्वर,उत्तराखंड
जिंदगी में कुछ करना है मुझे,
अपनी राह मैं खुद बनाऊंगी,
माने कोई या ना माने,
मैं खुद गुरु बन जाउंगी,
किसी सहारे की जरुरत नहीं है मुझे,
खुद ही सहारा बन जाउंगी,
मैं कैसे पहचान पाउंगी?
अपनी मंजिल को साकार कैसे बना पाउंगी?
मैं कैसे सपने से प्यार कर पाउंगी?
कैसे भाई बहन को मंजिल तक पहुंचा पाऊंगी?
हर बाधा को को पार कर जाऊंगी,
अपनी राह मैं खुद बनाऊंगी।।
चरखा फीचर