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मुरली वाले ने घेर ली अकेली पनिया गई

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 मुरली वाले ने घेर ली
अकेली पनिया गई,

बंसी वाले ने घेर ली,
अकेली पनिया गई ॥ टेक ॥

मैं तो गई थी यमुना तट पे,
कान्हा बढ़ो थोरी पनघट पे

बड़ी मुझको देर भई,
अकेली पनिया गई ॥ टेक ॥

श्याम ने मेरी चुनड़ी झटकी,
सर से गिर गई मेरी मटकी

मेरी बहियाँ मरोड़ दी,
अकेली पनिया गई ॥ टेक ॥

बड़ा नटखट है श्याम सांवरिया
भिगोई मोरी कोरी चुनरिया,

मोरी मटकी फोड़ दी,
अकेली पनिया गई ॥ टेक ॥

लाख कही पर एक ना मानी,
भरने ना देवे मोहे पानी ॥ टेक ॥

मारी लाज के मैं मर गई,
अकेली पनिया गई ॥ टेक ॥

यह गीत राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी को बयां करता है, जहां राधा यमुना तट पर पानी भरने जाती है और कृष्ण की शरारतों का सामना करती है। इस गीत में कृष्ण की नटखट हरकतों और राधा की झिझक का वर्णन है।

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