उत्तर प्रदेश भाजपा में चल रही आपसी खींचतान के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक ट्वीट से सनसनी फैला दी। उन्होंने लिखा- “मानसून ऑफर, सौ लाओ, सरकार बनाओ।” उनका स्पष्ट इशारा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की तरफ था। अखिलेश यादव ने 2022 विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य को सार्वजनिक रूप से यह प्रस्ताव दिया था कि सौ विधायक लाओ, हम समर्थन करके आपकी सरकार बनवा देंगे। इस प्रकार उन्होंने फिर से वही प्रस्ताव मौर्य के समक्ष दोहरा दिया है।
यह आश्चर्यजनक है कि जब अखिलेश यादव की पार्टी के विधायक या सांसद पाला बदलते हैं तो वह इसे लोकतंत्र की हत्या और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग बताते हैं। दूसरी ओर, वह खुलेआम दूसरे दल में तोड़फोड़ के लिए नेताओं को ऑफर दे रहे हैं। अखिलेश यादव एक ओर संविधान की प्रति दिखाकर उसका पालन करने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों का मखौल उड़ाते हैं। आज की राजनीति में नेताओं का दोहरा चरित्र इसे ही कहते हैं।
जहां तक केशव प्रसाद मौर्य की बात है, तो मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान उन्हें सख्त हिदायत दी गई कि सोशल मीडिया पर अनाप शनाप टिप्पणियां न करें और पार्टी में एकजुटता बनाए रखें। केशव प्रसाद मौर्य बुधवार को लखनऊ लौट आए। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनकी ताजपोशी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर हो जाएगी। माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य ज्यादा समय तक योगी सरकार में नहीं रहेंगे।
बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ बैठक की जिसमें 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। इस बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, उपस्थित नहीं थे।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न होने के कारण चल रहे मंथन एवं समीक्षाओं के दौर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि भूपेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री को हार के कारणों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। प्रधानमंत्री ने जीती और हारी, सभी सीटों को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के साथ विस्तृत चर्चा की। यह महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री किसी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से इतनी लंबी चर्चा करें।
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के मुकाबले कम सीटें पाने के बाद भाजपा के भीतर अलग-अलग आवाजें उठ रही हैं। विपक्ष के प्रदर्शन और भाजपा को लगे झटके के बाद संगठन में चल रही खींचतान भाजपा के लिए चिंता का सबब बनी हुई है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से भाजपा के एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने में उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान माना जाता है।
इस प्रकार, अखिलेश यादव के मॉनसून ऑफर ने एक बार फिर राजनीति में दोहरे चरित्र को उजागर कर दिया है और भाजपा के लिए चुनौतियों को और भी बढ़ा दिया है।